Thursday, March 31, 2011

एकला चलो रे - रविन्द्र नाथ ठाकुर

रविन्द्र नाथ ठाकुर
यह कविवर रविन्द्र नाथ ठाकुर की एक बंगला कविता है। प्रसिद्ध हिंदी/बंगला गायक किशोर कुमार की मधुर आवाज़ में आप इसे सुन भी सकते हैं।

यदि तोर डाक शुने केऊ न आसे
तबे एकला चलो रे।

एकला चलो, एकला चलो, एकला चलो रे

यदि केऊ कथा ना कोय, ओरे, ओरे, ओ अभागा,

यदि सबाई थाके मुख फिराय, सबाई करे भय-
तबे परान खुले
ओ, तुई मुख फूटे तोर मनेर कथा एकला बोलो रे

यदि सबाई फिरे जाय, ओरे, ओरे, ओ अभागा,
यदि गहन पथे जाबार काले केऊ फिरे न जाय-
तबे पथेर काँटा
ओ, तुई रक्तमाला चरन तले एकला दलो रे ।

यदि आलो ना घरे, ओरे, ओरे, ओ अभागा-
यदि झड़ बादले आधार राते दुयार देय धरे-
तबे वज्रानले
आपुन बुकेर पांजर जालियेनिये एकला जलो रे ।

एकला जलो रे ।
 - रविन्द्र नाथ ठाकुर

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