Thursday, January 26, 2017

फूल खिला दे शाखों पर - शक़ील आज़मी

शक़ील आज़मी 

फूल खिला दे शाखों पर, पेड़ो को फल दे मालिक
फूल खिला दे शाखों पर, पेड़ो को फल दे मालिक
धरती जितनी प्यासी हैं उतना तो जल दे मालिक

वक़्त बड़ा दुःख दायक है, पापी हैं संसार बहुत
वक़्त बड़ा दुःख दायक है, पापी हैं संसार बहुत
निर्धन को धनवान बना, दुर्बल को बल दे मालिक

कोहरा कोहरा सर्दी है, कांप रहा है पूरा गाँव
कोहरा कोहरा सर्दी है, कांप रहा है पूरा गाँव
दिन को तपता सूरज दे, रात को कम्बल दे मालिक

बैलो को इक गठरी घास, इन्सानों को दो रोटी
बैलो को इक गठरी घास, इन्सानों को दो रोटी
खेतो को भर दे गेहू से, कंधो को हल दे मालिक

हाथ सभी के काले हैं, नजरे सब की पीली हैं
हाथ सभी के काले हैं, नजरे सब की पीली हैं
सीना ढांप दुपट्टे से, सर को आँचल दे मालिक